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पवित्र बाइबिल - सभोपदेशक - सभोपदेशक 3

सभोपदेशक 3:12-16

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12मैंने जान लिया है कि मनुष्यों के लिये आनन्द करने और जीवन भर भलाई करने के सिवाए, और कुछ भी अच्छा नहीं;
13और यह भी परमेश्‍वर का दान है कि मनुष्य खाए-पीए और अपने सब परिश्रम में सुखी रहे।
14मैं जानता हूँ कि जो कुछ परमेश्‍वर करता है वह सदा स्थिर रहेगा; न तो उसमें कुछ बढ़ाया जा सकता है और न कुछ घटाया जा सकता है; परमेश्‍वर ऐसा इसलिए करता है कि लोग उसका भय मानें।
15जो कुछ हुआ वह इससे पहले भी हो चुका*; जो होनेवाला है, वह हो भी चुका है; और परमेश्‍वर बीती हुई बात को फिर पूछता है।
16फिर मैंने संसार में क्या देखा कि न्याय के स्थान में दुष्टता होती है, और धर्म के स्थान में भी दुष्टता होती है।

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