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पवित्र बाइबिल - सभोपदेशक - सभोपदेशक 12

सभोपदेशक 12:6-13

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6उस समय चाँदी का तार दो टुकड़े हो जाएगा और सोने का कटोरा टूटेगा; और सोते के पास घड़ा फूटेगा, और कुण्ड के पास रहट टूट जाएगा,
7जब मिट्टी ज्यों की त्यों मिट्टी में मिल जाएगी, और आत्मा परमेश्‍वर के पास जिस ने उसे दिया लौट जाएगी*।
8उपदेशक कहता है, सब व्यर्थ ही व्यर्थ; सब कुछ व्यर्थ है।
9उपदेशक जो बुद्धिमान था, वह प्रजा को ज्ञान भी सिखाता रहा, और ध्यान लगाकर और जाँच-परख करके बहुत से नीतिवचन क्रम से रखता था।
10उपदेशक ने मनभावने शब्द खोजे और सिधाई से ये सच्ची बातें लिख दीं।
11बुद्धिमानों के वचन पैनों के समान होते हैं, और सभाओं के प्रधानों के वचन गाड़ी हुई कीलों के समान हैं, क्योंकि एक ही चरवाहे की ओर से मिलते हैं।
12हे मेरे पुत्र, इन्हीं में चौकसी सीख। बहुत पुस्तकों की रचना का अन्त नहीं होता, और बहुत पढ़ना देह को थका देता है।
13सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है* कि परमेश्‍वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है।

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