3तेरे होंठ लाल रंग की डोरी के समान हैं, और तेरा मुँह मनोहर है, तेरे कपोल तेरी लटों के नीचे अनार की फाँक से देख पड़ते हैं।
4तेरा गला दाऊद की मीनार के समान है, जो अस्त्र-शस्त्र के लिये बना हो, और जिस पर हजार ढालें टँगी हुई हों, वे सब ढालें शूरवीरों की हैं।
5तेरी दोनों छातियाँ मृग के दो जुड़वे बच्चों के तुल्य हैं, जो सोसन फूलों के बीच में चरते हों।
6जब तक दिन ठण्डा न हो, और छाया लम्बी होते-होते मिट न जाए, तब तक मैं शीघ्रता से गन्धरस के पहाड़ और लोबान की पहाड़ी पर चला जाऊँगा।