21नीज़ उन सब बातों के सुनने पर जो कही जाएँ कान न लगा, ऐसा न हो कि तू सुन ले कि तेरा नौकर तुझ पर ला'नत करता है;
22क्यूँकि तू तो अपने दिल से जानता है कि तूने आप इसी तरह से औरों पर ला'नत की है
23मैंने हिकमत से ये सब कुछ आज़माया है। मैंने कहा, मैं 'अक़्लमन्द बनूँगा, लेकिन वह मुझ से कहीं दूर थी।
24जो कुछ है सो दूर और बहुत गहरा है, उसे कौन पा सकता