6याजकों में के सब पुरुष उसमें से खा सकते हैं; वह किसी पवित्रस्थान में खाया जाए; क्योंकि वह परमपवित्र है। (1 कुरि. 10:18)
7जैसा पापबलि है वैसा ही दोषबलि भी है, उन दोनों की एक ही व्यवस्था है; जो याजक उन बलियों को चढ़ा के प्रायश्चित करे वही उन वस्तुओं को ले-ले।
8और जो याजक किसी के लिये होमबलि को चढ़ाए उस होमबलि पशु की खाल को वही याजक ले-ले।