14“यदि तुम मेरी न सुनोगे, और इन सब आज्ञाओं को न मानोगे,
15और मेरी विधियों को निकम्मा जानोगे, और तुम्हारी आत्मा मेरे निर्णयों से घृणा करे, और तुम मेरी सब आज्ञाओं का पालन न करोगे, वरन् मेरी वाचा को तोड़ोगे,
16तो मैं तुम से यह करूँगा; अर्थात् मैं तुमको बेचैन करूँगा, और क्षयरोग और ज्वर से पीड़ित करूँगा, और इनके कारण तुम्हारी आँखें धुंधली हो जाएँगी, और तुम्हारा मन अति उदास होगा। और तुम्हारा बीज बोना व्यर्थ होगा, क्योंकि तुम्हारे शत्रु उसकी उपज खा लेंगे;
17और मैं भी तुम्हारे विरुद्ध हो जाऊँगा, और तुम अपने शत्रुओं से हार जाओगे; और तुम्हारे बैरी तुम्हारे ऊपर अधिकार करेंगे, और जब कोई तुमको खदेड़ता भी न होगा तब भी तुम भागोगे।