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पवित्र बाइबिल - लैव्यव्यवस्था - लैव्यव्यवस्था 14

लैव्यव्यवस्था 14:3-22

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3और याजक छावनी के बाहर* जाए, और याजक उस कोढ़ी को देखे, और यदि उसके कोढ़ की व्याधि चंगी हुई हो, (लूका 17:14)
4तो याजक आज्ञा दे कि शुद्ध ठहरानेवाले के लिये दो शुद्ध और जीवित पक्षी, देवदार की लकड़ी, और लाल रंग का कपड़ा और जूफा ये सब लिये जाएँ; (इब्रानियों. 9:19)
5और याजक आज्ञा दे कि एक पक्षी बहते हुए जल के ऊपर मिट्टी के पात्र में बलि किया जाए।
6तब वह जीवित पक्षी को देवदार की लकड़ी और लाल रंग के कपड़े और जूफा इन सभी को लेकर एक संग उस पक्षी के लहू में जो बहते हुए जल के ऊपर बलि किया गया है डुबा दे;
7और कोढ़ से शुद्ध ठहरनेवाले पर सात बार* छिड़ककर उसको शुद्ध ठहराए, तब उस जीवित पक्षी को मैदान में छोड़ दे।
8और शुद्ध ठहरनेवाला अपने वस्त्रों को धोए, और सब बाल मुँड़वाकर जल से स्नान करे, तब वह शुद्ध ठहरेगा; और उसके बाद वह छावनी में आने पाए, परन्तु सात दिन तक अपने डेरे से बाहर ही रहे।
9और सातवें दिन वह सिर, दाढ़ी और भौहों के सब बाल मुँड़ाएँ, और सब अंग मुण्डन कराए, और अपने वस्त्रों को धोए, और जल से स्नान करे, तब वह शुद्ध ठहरेगा।
10“आठवें दिन वह दो निर्दोष भेड़ के बच्चे, और एक वर्ष की निर्दोष भेड़ की बच्ची, और अन्नबलि के लिये तेल से सना हुआ एपा का तीन दहाई अंश मैदा, और लोज भर तेल लाए।
11और शुद्ध ठहरानेवाला याजक इन वस्तुओं समेत उस शुद्ध होनेवाले मनुष्य को यहोवा के सम्मुख मिलापवाले तम्बू के द्वार पर खड़ा करे।
12तब याजक एक भेड़ का बच्चा लेकर दोषबलि के लिये उसे और उस लोज भर तेल को समीप लाए, और इन दोनों को हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के सामने हिलाए;
13और वह उस भेड़ के बच्चे को उसी स्थान में जहाँ वह पापबलि और होमबलि पशुओं का बलिदान किया करेगा, अर्थात् पवित्रस्‍थान में बलिदान करे; क्योंकि जैसे पापबलि याजक का निज भाग होगा वैसे ही दोषबलि भी उसी का निज भाग ठहरेगा; वह परमपवित्र है।
14तब याजक दोषबलि के लहू में से कुछ लेकर शुद्ध ठहरनेवाले के दाहिने कान के सिरे पर, और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पाँव के अँगूठों पर लगाए।
15तब याजक उस लोज भर तेल में से कुछ लेकर अपने बाएँ हाथ की हथेली पर डाले,
16और याजक अपने दाहिने हाथ की उँगली को अपनी बाईं हथेली पर के तेल में डुबाकर उस तेल में से कुछ अपनी उँगली से यहोवा के सम्मुख सात बार छिड़के।
17और जो तेल उसकी हथेली पर रह जाएगा याजक उसमें से कुछ शुद्ध होनेवाले के दाहिने कान के सिरे पर, और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पाँव के अँगूठों पर दोषबलि के लहू के ऊपर लगाए;
18और जो तेल याजक की हथेली पर रह जाए उसको वह शुद्ध होनेवाले के सिर पर डाल दे। और याजक उसके लिये यहोवा के सामने प्रायश्चित करे।
19याजक पापबलि को भी चढ़ाकर उसके लिये जो अपनी अशुद्धता से शुद्ध होनेवाला हो प्रायश्चित करे; और उसके बाद होमबलि पशु का बलिदान करके
20अन्नबलि समेत वेदी पर चढ़ाए: और याजक उसके लिये प्रायश्चित करे, और वह शुद्ध ठहरेगा।
21“परन्तु यदि वह दरिद्र हो और इतना लाने के लिये उसके पास पूँजी न हो, तो वह अपना प्रायश्चित करवाने के निमित्त, हिलाने के लिये भेड़ का बच्चा दोषबलि के लिये, और तेल से सना हुआ एपा का दसवाँ अंश मैदा अन्नबलि करके, और लोज भर तेल लाए;
22और दो पंडुक, या कबूतरी के दो बच्चे लाए, जो वह ला सके; और इनमें से एक तो पापबलि के लिये और दूसरा होमबलि के लिये हो।

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