1ऐ थियुफ़िलुस मैने पहली किताब उन सब बातों के बयान में लिखी जो ईसा शुरू; में करता और सिखाता रहा।
2उस दिन तक जिसमें वो उन रसूलों को जिन्हें उसने चुना था रूह — उल — क़ुद्दूस के वसीले से हुक्म देकर ऊपर उठाया गया।
3ईसा ने तकलीफ़ सहने के बाद बहुत से सबूतों से अपने आपको उन पर ज़िन्दा ज़ाहिर भी किया, चुनाँचे वो चालीस दिन तक उनको नज़र आता और ख़ुदा की बादशाही की बातें कहता रहा।
4और उनसे मिलकर उन्हें हुक्म दिया, “येरूशलेम से बाहर न जाओ, बल्कि बाप के उस वा'दे के पूरा होने का इन्तिज़ार करो, जिसके बारे में तुम मुझ से सुन चुके हो,
5क्यूँकि युहन्ना ने तो पानी से बपतिस्मा दिया मगर तुम थोड़े दिनों के बाद रूह — उल — क़ुद्दूस से बपतिस्मा पाओगे।”
6पस उन्होंने इकट्ठा होकर पूछा, “ऐ ख़ुदावन्द! क्या तू इसी वक़्त इस्राईल को बादशाही फिर' अता करेगा?”