43जब मजलिस ख़त्म हुई तो बहुत से यहूदी और ख़ुदा परस्त नए मुरीद यहूदी पौलुस और बरनबास के पीछे हो लिए, उन्हों ने उन से कलाम किया और तरग़ीब दी कि ख़ुदा के फ़ज़ल पर क़ाईम रहो।
44दूसरे सबत को तक़रीबन सारा शहर ख़ुदा का कलाम सुनने को इकट्ठा हुआ।
45मगर यहूदी इतनी भीड़ देखकर हसद से भर गए, और पौलुस की बातों की मुख़ालिफ़त करने और कुफ़्र बकने लगे।
46पौलुस और बरनबास दिलेर होकर कहने लगे, ज़रूर था, कि ख़ुदा का कलाम पहले तुम्हें सुनाया जाए; लेकिन चूँकि तुम उसको रद्द करते हो। और अपने आप को हमेशा की ज़िन्दगी के नाक़ाबिल ठहराते हो, तो देखो हम ग़ैर क़ौमों की तरफ़ मुतवज्जह होते हैं।
47क्यूँकि ख़ुदा ने हमें ये हुक्म दिया है कि “मैने तुझ को ग़ैर क़ौमों के लिए नूर मुक़र्रर किया 'ताकि तू ज़मीन की इन्तिहा तक नजात का ज़रिया हो।”
48ग़ैर क़ौम वाले ये सुनकर ख़ुश हुए और ख़ुदा के कलाम की बड़ाई करने लगे, और जितने हमेशा की ज़िन्दगी के लिए मुक़र्रर किए गए थे, ईमान ले आए।
49और उस तमाम इलाक़े में ख़ुदा का कलाम फैल गया।
50मगर यहूदियों ने ख़ुदा परस्त और इज़्ज़त दार औरतों और शहर के रईसों को उभारा और पौलुस और बरनबास को सताने पर आमादा करके उन्हें अपनी सरहदों से निकाल दिया।
51ये अपने पाँव की ख़ाक उनके सामने झाड़ कर इकुनियुम शहर को गए।