37और बाप जिसने मुझे भेजा है, उसी ने मेरी गवाही दी है। तुम ने न कभी उसकी आवाज़ सुनी है और न उसकी सूरत देखी;
38और उस के कलाम को अपने दिलों में क़ाईम नहीं रखते, क्यूँकि जिसे उसने भेजा है उसका यक़ीन नहीं करते।
39तुम किताब — ए — मुक़द्दस में ढूँडते हो, क्यूँकि समझते हो कि उसमें हमेशा की ज़िन्दगी तुम्हें मिलती है, और ये वो है जो मेरी गवाही देती है;
40फिर भी तुम ज़िन्दगी पाने के लिए मेरे पास आना नहीं चाहते।
41मैं आदमियों से 'इज़्ज़त नहीं चाहता।
42लेकिन मैं तुमको जानता हूँ कि तुम में ख़ुदा की मुहब्बत नहीं।