27और सूरज डूबते वक़्त उन्होंने यशू'अ के हुक्म से उनको दरख़्तों पर से उतार कर उसी ग़ार में जिस में वह जा छिपे थे डाल दिया, और ग़ार के मुँह पर बड़े बड़े पत्थर रख दिए जो आज तक हैं।
28और उसी दिन यशू'अ ने मुक़्क़ैदा को घेर कर के उसे हलाक किया, और उसके बादशाह को और उसके सब लोगों को बिल्कुल हलाक कर डाला और एक भी बाक़ी न छोड़ा; और मुक़्क़ैदा के बादशाह से उसने वही किया जो यरीहू के बादशाह से किया था।
29फिर यशू'अ और उसके साथ सब इस्राईली मुक़्क़ैदा से लिबनाह को गये, और वह लिबनाह से लड़ा।
30और ख़ुदावन्द ने उसको भी और उसके बादशाह को भी बनी इस्राईल के क़ब्ज़े में कर दिया; और उस ने उसे और उसके सब लोगों को हलाक किया और एक को भी बाक़ी न छोड़ा, और वहाँ के बादशाह से वैसा ही किया जो यरीहू के बादशाह से किया था।
31फिर लिबनाह से यशू'अ और उसके साथ सब इस्राईली लकीस को गये और उसके मुक़ाबिल डेरे डाल लिए और वह उस से लड़ा।
32और ख़ुदावन्द ने लकीस को इस्राईल के क़ब्ज़े में कर दिया उस ने दूसरे दिन उस पर फ़तह पायी और उसे हलाक किया और सब लोगों को जो उस में थे क़त्ल किया जिस तरह उस ने लिबनाह से किया था।
33उस वक़्त जज़र का बादशाह हुरम लकीस को मदद करने को आया इसलिए यशू'अ ने उसको और उसके आदमियों को मारा यहाँ तक कि उसका एक भी जीता न छोड़ा।
34और यशू'अ और उसके साथ सब इस्राईली लकीस से 'अजलून को गये और उसके मुक़ाबिल डेरे डालकर उस से जंग शुरू' की।
35और उसी दिन उसे घेर लिया उसे हलाक किया और उन सब लोगों को जो उस में थे उस ने उसी दिन बिल्कुल हलाक कर डाला जैसा उस ने लकीस से किया था।
36फिर 'अजलून से यशू'अ और उसके साथ सब इस्राईली हबरून को गये और उस से लड़े।