21जो नगरी विश्वासयोग्य थी वह कैसे व्यभिचारिण हो गई! वह न्याय से भरी थी और उसमें धर्म पाया जाता था, परन्तु अब उसमें हत्यारे ही पाए जाते हैं।
22तेरी चाँदी धातु का मैल* हो गई, तेरे दाखमधु में पानी मिल गया है।
23तेरे हाकिम हठीले और चोरों से मिले हैं। वे सब के सब घूस खानेवाले और भेंट के लालची हैं। वे अनाथ का न्याय नहीं करते, और न विधवा का मुकद्दमा अपने पास आने देते हैं।