8और वह जगत का न्याय धर्म से करेगा, वह देश-देश के लोगों का मुकद्दमा खराई से निपटाएगा। (भज. 96:13, प्रेरि. 17:31)
9यहोवा पिसे हुओं के लिये ऊँचा गढ़ ठहरेगा, वह संकट के समय के लिये भी ऊँचा गढ़ ठहरेगा।
10और तेरे नाम के जाननेवाले तुझ पर भरोसा रखेंगे, क्योंकि हे यहोवा तूने अपने खोजियों को त्याग नहीं दिया।
11यहोवा जो सिय्योन में विराजमान है, उसका भजन गाओ! जाति-जाति के लोगों के बीच में उसके महाकर्मों का प्रचार करो!
12क्योंकि खून का पलटा लेनेवाला उनको स्मरण करता है; वह पिसे हुओं की दुहाई को नहीं भूलता।
13हे यहोवा, मुझ पर दया कर। देख, मेरे बैरी मुझ पर अत्याचार कर रहे है, तू ही मुझे मृत्यु के फाटकों से बचा सकता है;
14ताकि मैं सिय्योन के फाटकों के पास तेरे सब गुणों का वर्णन करूँ, और तेरे किए हुए उद्धार से मगन होऊँ।
15अन्य जातिवालों ने जो गड्ढा खोदा था, उसी में वे आप गिर पड़े; जो जाल उन्होंने लगाया था, उसमें उन्हीं का पाँव फंस गया।
16यहोवा ने अपने को प्रगट किया, उसने न्याय किया है; दुष्ट अपने किए हुए कामों में फंस जाता है। (हिग्गायोन*, सेला)
17दुष्ट अधोलोक में लौट जाएँगे, तथा वे सब जातियाँ भी जो परमेश्वर को भूल जाती है।
18क्योंकि दरिद्र लोग अनन्तकाल तक बिसरे हुए न रहेंगे, और न तो नम्र लोगों की आशा सर्वदा के लिये नाश होगी।
19हे यहोवा, उठ, मनुष्य प्रबल न होने पाए! जातियों का न्याय तेरे सम्मुख किया जाए।