44तूने उसका तेज हर लिया है, और उसके सिंहासन को भूमि पर पटक दिया है।
45तूने उसकी जवानी को घटाया, और उसको लज्जा से ढाँप दिया है। (सेला)
46हे यहोवा, तू कब तक लगातार मुँह फेरे रहेगा, तेरी जलजलाहट कब तक आग के समान भड़की रहेगी।
47मेरा स्मरण कर, कि मैं कैसा अनित्य हूँ, तूने सब मनुष्यों को क्यों व्यर्थ सिरजा है?
48कौन पुरुष सदा अमर रहेगा? क्या कोई अपने प्राण को अधोलोक से बचा सकता है? (सेला)