7हे यहोवा अपनी करुणा हमें दिखा, और तू हमारा उद्धार कर।
8मैं कान लगाए रहूँगा कि परमेश्वर यहोवा क्या कहता है, वह तो अपनी प्रजा से जो उसके भक्त है, शान्ति की बातें कहेगा; परन्तु वे फिरके मूर्खता न करने लगें।
9निश्चय उसके डरवैयों के उद्धार का समय निकट है*, तब हमारे देश में महिमा का निवास होगा।
10करुणा और सच्चाई आपस में मिल गई हैं; धर्म और मेल ने आपस में चुम्बन किया हैं।