7देश-देश के लोग तेरे चारों ओर इकट्ठे हुए है; तू फिर से उनके ऊपर विराजमान हो।
8यहोवा जाति-जाति का न्याय करता है; यहोवा मेरे धर्म और खराई के अनुसार मेरा न्याय चुका दे।
9भला हो कि दुष्टों की बुराई का अन्त हो जाए, परन्तु धर्म को तू स्थिर कर; क्योंकि धर्मी परमेश्वर मन और मर्म का ज्ञाता है।
10मेरी ढाल परमेश्वर के हाथ में है, वह सीधे मनवालों को बचाता है।
11परमेश्वर धर्मी और न्यायी है*, वरन् ऐसा परमेश्वर है जो प्रतिदिन क्रोध करता है।