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पवित्र बाइबिल - भजन संहिता - भजन संहिता 78

भजन संहिता 78:43-57

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43कि उसने कैसे अपने चिन्ह मिस्र में, और अपने चमत्कार सोअन के मैदान में किए थे।
44उसने तो मिस्रियों की नदियों को लहू बना डाला, और वे अपनी नदियों का जल पी न सके। (प्रका. 16:4)
45उसने उनके बीच में डांस भेजे जिन्होंने उन्हें काट खाया, और मेंढ़क भी भेजे, जिन्होंने उनका बिगाड़ किया।
46उसने उनकी भूमि की उपज कीड़ों को, और उनकी खेतीबारी टिड्डियों को खिला दी थी।
47उसने उनकी दाखलताओं को ओेलों से, और उनके गूलर के पेड़ों को ओले बरसाकर नाश किया।
48उसने उनके पशुओं को ओलों से, और उनके ढोरों को बिजलियों से मिटा दिया।
49उसने उनके ऊपर अपना प्रचण्ड क्रोध और रोष भड़काया, और उन्हें संकट में डाला, और दुःखदाई दूतों का दल भेजा।
50उसने अपने क्रोध का मार्ग खोला, और उनके प्राणों को मृत्यु से न बचाया, परन्तु उनको मरी के वश में कर दिया।
51उसने मिस्र के सब पहलौठों को मारा, जो हाम के डेरों में पौरूष के पहले फल थे;
52परन्तु अपनी प्रजा को भेड़-बकरियों के समान प्रस्थान कराया, और जंगल में उनकी अगुआई पशुओं के झुण्ड की सी की।
53तब वे उसके चलाने से बेखटके चले और उनको कुछ भय न हुआ, परन्तु उनके शत्रु समुद्र में डूब गए।
54और उसने उनको अपने पवित्र देश की सीमा तक, इसी पहाड़ी देश में पहुँचाया, जो उसने अपने दाहिने हाथ से प्राप्त किया था।
55उसने उनके सामने से अन्यजातियों को भगा दिया; और उनकी भूमि को डोरी से माप-मापकर बाँट दिया; और इस्राएल के गोत्रों को उनके डेरों में बसाया।
56तो भी उन्होंने परमप्रधान परमेश्‍वर की परीक्षा की और उससे बलवा किया, और उसकी चितौनियों को न माना,
57और मुड़कर अपने पुरखाओं के समान विश्वासघात किया; उन्होंने निकम्मे धनुष के समान धोखा दिया।

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