12वह अपने मुँह के पाप, और होंठों के वचन, और श्राप देने, और झूठ बोलने के कारण, अभिमान में फँसे हुए पकड़े जाएँ।
13जलजलाहट में आकर उनका अन्त कर, उनका अन्त कर दे ताकि वे नष्ट हो जाएँ तब लोग जानेंगे कि परमेश्वर याकूब पर, वरन् पृथ्वी की छोर तक प्रभुता करता है। (सेला)
14वे सांझ को लौटकर कुत्ते के समान गुर्राते, और नगर के चारों ओर घूमते है।
15वे टुकड़े के लिये मारे-मारे फिरते, और तृप्त न होने पर रात भर गुर्राते है।
16परन्तु मैं तेरी सामर्थ्य का यश गाऊँगा*, और भोर को तेरी करुणा का जयजयकार करूँगा। क्योंकि तू मेरा ऊँचा गढ़ है, और संकट के समय मेरा शरणस्थान ठहरा है।
17हे मेरे बल, मैं तेरा भजन गाऊँगा, क्योंकि हे परमेश्वर, तू मेरा ऊँचा गढ़ और मेरा करुणामय परमेश्वर है।