22क्योंकि जो उससे आशीष पाते हैं वे तो पृथ्वी के अधिकारी होंगे, परन्तु जो उससे श्रापित होते हैं, वे नाश हो जाएँगे।
23मनुष्य की गति यहोवा की ओर से दृढ़ होती है*, और उसके चलन से वह प्रसन्न रहता है;
24चाहे वह गिरे तो भी पड़ा न रह जाएगा, क्योंकि यहोवा उसका हाथ थामे रहता है।