17धर्मी दुहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, और उनको सब विपत्तियों से छुड़ाता है।
18यहोवा टूटे मनवालों के समीप रहता है*, और पिसे हुओं का उद्धार करता है।
19धर्मी पर बहुत सी विपत्तियाँ पड़ती तो हैं, परन्तु यहोवा उसको उन सबसे मुक्त करता है। (नीति. 24:16, 2 तीम. 3:11)
20वह उसकी हड्डी-हड्डी की रक्षा करता है; और उनमें से एक भी टूटने नहीं पाता। (यूह. 19:36)