5उसने अपनी बुद्धि से आकाश बनाया, उसकी करुणा सदा की है।
6उसने पृथ्वी को जल के ऊपर फैलाया है, उसकी करुणा सदा की है।
7उसने बड़ी-बड़ी ज्योतियाँ बनाईं, उसकी करुणा सदा की है।
8दिन पर प्रभुता करने के लिये सूर्य को बनाया, उसकी करुणा सदा की है।
9और रात पर प्रभुता करने के लिये चन्द्रमा और तारागण को बनाया, उसकी करुणा सदा की है।