86तेरी सब आज्ञाएँ विश्वासयोग्य हैं; वे लोग झूठ बोलते हुए मेरे पीछे पड़े हैं; तू मेरी सहायता कर!
87वे मुझ को पृथ्वी पर से मिटा डालने ही पर थे, परन्तु मैंने तेरे उपदेशों को नहीं छोड़ा।
88अपनी करुणा के अनुसार मुझ को जिला, तब मैं तेरी दी हुई चितौनी को मानूँगा।
89लामेध हे यहोवा, तेरा वचन, आकाश में सदा तक स्थिर रहता है।
90तेरी सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है; तूने पृथ्वी को स्थिर किया, इसलिए वह बनी है।
91वे आज के दिन तक तेरे नियमों के अनुसार ठहरे हैं; क्योंकि सारी सृष्टि तेरे अधीन है।
92यदि मैं तेरी व्यवस्था से सुखी न होता, तो मैं दुःख के समय नाश हो जाता*।
93मैं तेरे उपदेशों को कभी न भूलूँगा; क्योंकि उन्हीं के द्वारा तूने मुझे जिलाया है।
94मैं तेरा ही हूँ, तू मेरा उद्धार कर; क्योंकि मैं तेरे उपदेशों की सुधि रखता हूँ।
95दुष्ट मेरा नाश करने के लिये मेरी घात में लगे हैं; परन्तु मैं तेरी चितौनियों पर ध्यान करता हूँ।
96मैंने देखा है कि प्रत्येक पूर्णता की सीमा होती है, परन्तु तेरी आज्ञा का विस्तार बड़ा और सीमा से परे है।
97मीम आहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूँ! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है।