24वे तुझको अनैतिक स्त्री* से और व्यभिचारिणी की चिकनी चुपड़ी बातों से बचाएगी।
25उसकी सुन्दरता देखकर अपने मन में उसकी अभिलाषा न कर; वह तुझे अपने कटाक्ष से फँसाने न पाए;
26क्योंकि वेश्यागमन के कारण मनुष्य रोटी के टुकड़ों का भिखारी हो जाता है, परन्तु व्यभिचारिणी अनमोल जीवन का अहेर कर लेती है।
27क्या हो सकता है कि कोई अपनी छाती पर आग रख ले; और उसके कपड़े न जलें?