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पवित्र बाइबिल - नीतिवचन - नीतिवचन 31

नीतिवचन 31:4-11

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4हे लमूएल, राजाओं को दाखमधु पीना शोभा नहीं देता, और मदिरा चाहना, रईसों को नहीं फबता;
5ऐसा न हो कि वे पीकर व्यवस्था को भूल जाएँ और किसी दुःखी के हक़ को मारें।
6मदिरा उसको पिलाओ जो मरने पर है, और दाखमधु उदास मनवालों को ही देना;
7जिससे वे पीकर अपनी दरिद्रता को भूल जाएँ और अपने कठिन श्रम फिर स्मरण न करें।
8गूँगे के लिये अपना मुँह खोल, और सब अनाथों का न्याय उचित रीति से किया कर।
9अपना मुँह खोल और धर्म से न्याय कर, और दीन दरिद्रों का न्याय कर।
10भली पत्‍नी कौन पा सकता है? क्योंकि उसका मूल्य मूँगों से भी बहुत अधिक है।
11उसके पति के मन में उसके प्रति विश्वास है, और उसे लाभ की घटी नहीं होती।

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