15हे मेरे पुत्र, यदि तू बुद्धिमान हो, तो मेरा ही मन आनन्दित होगा।
16और जब तू सीधी बातें बोले, तब मेरा मन प्रसन्न होगा।
17तू पापियों के विषय मन में डाह न करना, दिन भर यहोवा का भय मानते रहना।
18क्योंकि अन्त में फल होगा, और तेरी आशा न टूटेगी।
19हे मेरे पुत्र, तू सुनकर बुद्धिमान हो, और अपना मन सुमार्ग में सीधा चला।
20दाखमधु के पीनेवालों में न होना, न माँस के अधिक खानेवालों की संगति करना;