6बहुत से मनुष्य अपनी निष्ठा का प्रचार करते हैं; परन्तु सच्चा व्यक्ति कौन पा सकता है?
7वह व्यक्ति जो अपनी सत्यनिष्ठा पर चलता है, उसके पुत्र जो उसके पीछे चलते हैं, वे धन्य हैं।
8राजा जो न्याय के सिंहासन पर बैठा करता है, वह अपनी दृष्टि ही से सब बुराई को छाँट लेता है।
9कौन कह सकता है कि मैंने अपने हृदय को पवित्र किया; अथवा मैं पाप से शुद्ध हुआ हूँ?
10घटते-बढ़ते बटखरे और घटते-बढ़ते नपुए इन दोनों से यहोवा घृणा करता है।
11लड़का भी अपने कामों से पहचाना जाता है, कि उसका काम पवित्र और सीधा है, या नहीं।
12सुनने के लिये कान और देखने के लिये जो *आँखें हैं, उन दोनों को यहोवा ने बनाया है।
13नींद से प्रीति न रख, नहीं तो दरिद्र हो जाएगा; आँखें खोल* तब तू रोटी से तृप्त होगा।