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पवित्र बाइबिल - नीतिवचन - नीतिवचन 19

नीतिवचन 19:13-25

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13मूर्ख पुत्र पिता के लिये विपत्ति है, और झगड़ालू पत्‍नी सदा टपकने* वाले जल के समान हैं।
14घर और धन पुरखाओं के भाग से, परन्तु बुद्धिमती पत्‍नी यहोवा ही से मिलती है।
15आलस से भारी नींद आ जाती है, और जो प्राणी ढिलाई से काम करता, वह भूखा ही रहता है।
16जो आज्ञा को मानता, वह अपने प्राण की रक्षा करता है, परन्तु जो अपने चालचलन के विषय में निश्चिन्त रहता है, वह मर जाता है।
17जो कंगाल पर अनुग्रह करता है, वह यहोवा को उधार देता है, और वह अपने इस काम का प्रतिफल पाएगा। (मत्ती 25:40)
18जब तक आशा है तब तक अपने पुत्र की ताड़ना कर, जान-बूझकर उसको मार न डाल।
19जो बड़ा क्रोधी है, उसे दण्ड उठाने दे; क्योंकि यदि तू उसे बचाए, तो बारम्बार बचाना पड़ेगा।
20सम्मति को सुन ले, और शिक्षा को ग्रहण कर, ताकि तू अपने अन्तकाल में बुद्धिमान ठहरे।
21मनुष्य के मन में बहुत सी कल्पनाएँ होती हैं*, परन्तु जो युक्ति यहोवा करता है, वही स्थिर रहती है।
22मनुष्‍य में निष्ठा सर्वोत्तम गुण है, और निर्धन जन झूठ बोलनेवाले से बेहतर है।
23यहोवा का भय मानने से जीवन बढ़ता है; और उसका भय माननेवाला ठिकाना पाकर सुखी रहता है; उस पर विपत्ति नहीं पड़ने की।
24आलसी अपना हाथ थाली में डालता है, परन्तु अपने मुँह तक कौर नहीं उठाता।
25ठट्ठा करनेवाले को मार, इससे भोला मनुष्य समझदार हो जाएगा; और समझवाले को डाँट, तब वह अधिक ज्ञान पाएगा।

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