Text copied!
CopyCompare
इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - अह - अह 13

अह 13:7-33

Help us?
Click on verse(s) to share them!
7लेकिन अगर काहिन के उस मुलहज़े के बाद जिस में वह साफ़ क़रार दिया गया था, वह पपड़ी उसकी जिल्द पर बहुत फैल जाए, तो वह शख़्स काहिन को फिर दिखाया जाए;
8और काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि वह पपड़ी जिल्द पर फैल गई है तो वह उसे नापाक क़रार दे; क्यूँकि वह कोढ़ है।
9“अगर किसी शख़्स को कोढ़ का मर्ज़ हो, तो उसे काहिन के पास ले जाएँ,
10और काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि जिल्द पर सफ़ेद वर्म है और उसने बालों को सफ़ेद कर दिया है, और उस वर्म की जगह का गोश्त ज़िन्दा और कच्चा है,
11तो यह उसके जिस्म की जिल्द में पुराना कोढ़ है, इसलिए काहिन उसे नापाक करार दे लेकिन उसे बन्द न करे क्यूँकि वह नापाक है।
12और अगर कोढ़ जिल्द में चारों तरफ़ फूट आए, और जहाँ तक काहिन को दिखाई देता है, यही मा'लूम हो कि उस की जिल्द सिर से पाँव तक कोढ़ से ढंक गई है;
13तो काहिन ग़ौर से देखे और अगर उस शख़्स का सारा जिस्म कोढ़ से ढका हुआ निकले, तो काहिन उस मरीज़ को पाक क़रार दे, क्यूँकि वह सब सफ़ेद हो गया है और वह पाक है।
14लेकिन जिस दिन जीता और कच्चा गोश्त उस पर दिखाई दे, वह नापाक होगा।
15और काहिन उस कच्चे गोश्त को देख कर उस शख़्स को नापाक करार दे, कच्चा गोश्त नापाक होता है; वह कोढ़ है।
16और अगर वह कच्चा गोश्त फिर कर सफ़ेद हो जाए, तो वह काहिन के पास जाए;
17और काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि मर्ज़ की जगह सब सफ़ेद हो गई है तो काहिन मरीज़ को पाक क़रार दे; वह पाक है।
18'और अगर किसी के जिस्म की जिल्द पर फोड़ा हो कर अच्छा हो जाए,
19और फोड़े की जगह सफ़ेद वर्म या सुर्ख़ी माइल चमकता हुआ सफ़ेद दाग़ हो तो वह दिखाया जाए;
20और काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि वह खाल से गहरा नज़र आता है और उस पर के बाल भी सफ़ेद हो गए हैं, तो काहिन उस शख़्स को नापाक करार दे; क्यूँकि वह कोढ़ है जो फोड़े में से फूट कर निकला है।
21लेकिन अगर काहिन देखे कि उस पर सफ़ेद बाल नहीं, और वह खाल से गहरा भी नहीं है और उसकी चमक कम है; तो काहिन उसे सात दिन तक बन्द रख्खे।
22और अगर वह जिल्द पर चारों तरफ़ फैल जाए, तो काहिन उसे नापाक क़रार दे; क्यूँकि वह कोढ़ की बला है।
23लेकिन अगर वह चमकता हुआ दाग अपनी जगह पर वहीं का वहीं रहे, और फैल न जाए तो वह फोड़े का दाग़ है; तब काहिन उस शख़्स को पाक करार दे।
24“या अगर जिस्म की खाल कहीं से जल जाए, और उस जली हुई जगह का ज़िन्दा गोश्त एक सुर्ख़ी माइल चमकता हुआ सफ़ेद दाग़ या बिल्कुल ही सफ़ेद दाग़ बन जाए
25तो काहिन उसे मुलाहिज़ा करे, और अगर देखे कि उस चमकते हुए दाग़ के बाल सफ़ेद हो गए हैं और वह खाल से गहरा दिखाई देता है; तो वह कोढ़ है जो उस जल जाने से पैदा हुआ है; और काहिन उस शख़्स को नापाक क़रार दे क्यूँकि उसे कोढ़ की बीमारी है।
26लेकिन अगर काहिन देखे कि उस चमकते हुए दाग़ पर सफ़ेद बाल नहीं, और न वह खाल से गहरा है बल्कि उसकी चमक भी कम है, तो वह उसे सात दिन तक बन्द रख्खे;
27और सातवें दिन काहिन उसे देखे, अगर वह जिल्द पर बहुत फैल गया हो तो काहिन उस शख़्स को नापाक क़रार दे; क्यूँकि उसे कोढ़ की बीमारी है।
28और अगर वह चमकता हुआ दाग़ अपनी जगह पर वहीं का वहीं रहे और जिल्द पर फैला हुआ न हो, बल्कि उसकी चमक भी कम हो, तो वह सिर्फ़ जल जाने की वजह से फूला हुआ है; और काहिन उस शख़्स को पाक क़रार दे क्यूँकि वह दाग़ जल जाने की वजह से है।
29“अगर किसी मर्द या 'औरत के सिर या ठोड़ी में दाग़ हो,
30तो काहिन उस दाग़ को मुलाहिज़ा करे और अगर देखे कि वह खाल से गहरा मा'लूम होता है और उस पर ज़र्द — ज़र्द बारीक रोंगटे हैं तों काहिन उस शख़्स को नापाक क़रार दे क्यूँकि वह सा'फ़ा है जो सिर या ठोड़ी का कोढ़ है।
31और अगर काहिन देखे कि वह सा'फ़ा की बला खाल से गहरी नहीं मा'लूम होती और उस पर स्याह बाल नहीं हैं, तो काहिन उस शख़्स को जिसे सा'फ़ा का मर्ज़ है, सात दिन तक बन्द रख्खे;
32और सातवें दिन काहिन उस बला का मुलाहिज़ा करे और अगर देखे कि सा'फ़ा फैला नहीं और उस पर कोई ज़र्द बाल भी नहीं और सा'फ़ा खाल से गहरा नहीं मा'लूम होता;
33तो उस शख़्स के बाल मूँडे जाएँ, लेकिन जहाँ सा'फ़ा हो वह जगह न मूँडी जाए। और काहिन उस शख़्स को जिसे सा'फ़ा का मर्ज़ है, सात दिन और बन्द रख्खे।

Read अह 13अह 13
Compare अह 13:7-33अह 13:7-33