3उसने अपनी सहेलियों को रवाना किया है; वह ख़ुद शहर की ऊँची जगहों पर पुकारती है,
4“जो सादा दिल है, इधर आ जाए!” और बे'अक़्ल से वह यह कहती है,
5“आओ, मेरी रोटी में से खाओ, और मेरी मिलाई हुई मय में से पियो।
6ऐ सादा दिलो, बाज़ आओ और ज़िन्दा रहो, और समझ की राह पर चलो।”
7ठठ्ठा बाज़ को तम्बीह करने वाला ला'नतान उठाएगा, और शरीर को मलामत करने वाले पर धब्बा लगेगा।
8ठठ्ठाबाज़ को मलामत न कर, ऐसा न हो कि वह तुझ से 'अदावत रखने लगे; 'अक़्लमंद को मलामत कर, और वह तुझ से मुहब्बत रख्खेगा।
9'अक़्लमंद की तरबियत कर, और वह और भी 'अक़्लमंद बन जाएगा; सादिक़ को सिखा और वह 'इल्म में तरक़्क़ी करेगा।
10ख़ुदावन्द का ख़ौफ़ हिकमत का शुरू' है, और उस क़ुद्दुस की पहचान समझ है।
11क्यूँकि मेरी बदौलत तेरे दिन बढ़ जाएँगे, और तेरी ज़िन्दगी के साल ज़्यादा होंगे।
12अगर तू 'अक़्लमंद है तो अपने लिए, और अगर तू ठठ्ठाबाज़ है तो ख़ुद ही भुगतेगा।
13बेवक़ूफ़ 'औरत गौग़ाई है; वह नादान है और कुछ नहीं जानती।
14वह अपने घर के दरवाज़े पर, शहर की ऊँची जगहों में बैठ जाती है;
15ताकिआने जाने वालों को बुलाए, जो अपने अपने रास्ते पर सीधे जा रहें हैं,