14मैं जमा'अत और मजलिस के बीच, क़रीबन सब बुराइयों में मुब्तिला हुआ।”
15तू पानी अपने ही हौज़ से और बहता पानी अपने ही चश्मे से पीना
16क्या तेरे चश्मे बाहर बह जाएँ, और पानी की नदियाँ कूचों में?
17वह सिर्फ़ तेरे ही लिए हों, न तेरे साथ गै़रों के लिए भी।
18तेरा सोता मुबारक हो और तू अपनी जवानी की बीवी के साथ ख़ुश रह।