14शरीरों के रास्ते में न जाना, और बुरे आदमियों की राह में न चलना।
15उससे बचना, उसके पास से न गुज़रना, उससे मुड़कर आगे बढ़ जाना;
16क्यूँकि वह जब तक बुराई न कर लें सोते नहीं; और जब तक किसी को गिरा न दें उनकी नींद जाती रहती है।
17क्यूँकि वह शरारत की रोटी खाते, और जु़ल्म की मय पीते हैं।
18लेकिन सादिक़ों की राह सुबह की रोशनी की तरह है, जिसकी रोशनी दो पहर तक बढ़ती ही जाती है।
19शरीरों की राह तारीकी की तरह है; वह नहीं जानते कि किन चीज़ों से उनको ठोकर लगती है।