5क्या तू उस चीज़ पर आँख लगाएगा जो है ही नहीं? लेकिन लगा कर आसमान की तरफ़ उड़ जाती है?
6तू तंग चश्म की रोटी न खा, और उसके मज़ेदार खानों की तमन्ना न कर;
7क्यूँकि जैसे उसके दिल के ख़याल हैं वह वैसा ही है। वह तुझ से कहता है खा और पी, लेकिन उसका दिल तेरी तरफ़ नहीं
8जो निवाला तूने खाया है तू उसे उगल देगा, और तेरी मीठी बातें बे मतलब होंगी
9अपनी बातें बेवक़ूफ़ को न सुना, क्यूँकि वह तेरे 'अक़्लमंदी के कलाम की ना क़द्री करेगा।
10पुरानी हदों को न सरका, और यतीमों के खेतों में दख़ल न कर,
11क्यूँकि उनका रिहाई बख़्शने वाला ज़बरदस्त है; वह खुद ही तेरे ख़िलाफ़ उनकी वक़ालत करेगा।
12तरबियत पर दिल लगा, और 'इल्म की बातें सुन।
13लड़के से तादीब को दरेग़ न कर; अगर तू उसे छड़ी से मारेगा तो वह मर न जाएगा।
14तू उसे छड़ी से मारेगा, और उसकी जान को पाताल से बचाएगा।
15ऐ मेरे बेटे, अगर तू 'अक़्लमंद दिल है, तो मेरा दिल, हाँ मेरा दिल ख़ुश होगा।
16और जब तेरे लबों से सच्ची बातें निकलेंगी, तो मेरा दिल शादमान होगा।
17तेरा दिल गुनहगारों पर रश्क न करे, बल्कि तू दिन भर ख़ुदावन्द से डरता रह।
18क्यूँकि बदला यक़ीनी है, और तेरी आस नहीं टूटेगी।
19ऐ मेरे बेटे, तू सुन और 'अक़्लमंद बन, और अपने दिल की रहबरी कर।