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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019 - अम्सा - अम्सा 20

अम्सा 20:21-29

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21अगरचे 'इब्तिदा में मीरास यकलख़्त हासिल हो, तो भी उसका अन्जाम मुबारक न होगा।
22तू यह न कहना, कि मैं बदी का बदला लूँगा। ख़ुदावन्द की आस रख और वह तुझे बचाएगा।
23दो तरह के तौल बाट से ख़ुदावन्द को नफ़रत है, और दग़ा के तराजू ठीक नहीं।
24आदमी की रफ़्तार ख़ुदावन्द की तरफ़ से है, लेकिन इंसान अपनी राह को क्यूँकर जान सकता है?
25जल्द बाज़ी से किसी चीज़ को मुक़द्दस ठहराना, और मिन्नत मानने के बाद दरियाफ़्त करना, आदमी के लिए फंदा है।
26'अक़्लमन्द बादशाह शरीरों को फटकता है, और उन पर दावने का पहिया फिरवाता है।
27आदमी का ज़मीर ख़ुदावन्द का चिराग़ है: जो उसके तमाम अन्दरूनी हाल को दरियाफ़्त करता है।
28शफ़क़त और सच्चाई बादशाह की निगहबान हैं, बल्कि शफ़क़त ही से उसका तख़्त क़ाईम रहता है।
29जवानों का ज़ोर उनकी शौकत है, और बूढ़ों के सफ़ेद बाल उनकी ज़ीनत हैं।

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