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वाइज़ 7:12-20 in Urdu

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वाइज़ 7:12-20 in इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

12 क्यूँकि हिकमत वैसी ही पनाहगाह है जैसे रुपया, लेकिन 'इल्म की ख़ास खू़बी ये है कि हिकमत साहिब — ए — हिकमत की जान की मुहाफ़िज़ है।
13 ख़ुदा के काम पर ग़ौर कर, क्यूँकि कौन उस चीज़ को सीधा कर सकता है जिसको उसने टेढ़ा किया है?
14 इक़बालमन्दी के दिन ख़ुशी में मशग़ूल हो, लेकिन मुसीबत के दिन में सोच; बल्कि ख़ुदा ने इसको उसके मुक़ाबिल बना रख्खा है, ताकि इंसान अपने बाद की किसी बात को दरियाफ़्त न कर सके।
15 मैंने अपनी बेकारी के दिनों में ये सब कुछ देखा; कोई रास्तबाज़ अपनी रास्तबाज़ी में मरता है, और कोई बदकिरदार अपनी बदकिरदारी में उम्र दराज़ी पाता है।
16 हद से ज़्यादा नेकोकार न हो, और हिकमत में 'एतदाल से बाहर न जा; इसकी क्या ज़रूरत है कि तू अपने आप को बर्बाद करे?
17 हद से ज़्यादा बदकिरदार न हो, और बेवक़ूफ़ न बन; तू अपने वक़्त से पहले काहे को मरेगा?
18 अच्छा है कि तू इसको भी पकड़े रहे, और उस पर से भी हाथ न उठाए; क्यूँकि जो ख़ुदा तरस है इन सब से बच निकलेगा।
19 हिकमत साहिब — ए — हिकमत को शहर के दस हाकिमों से ज़्यादा ताक़तवर बना देती है।
20 क्यूँकि ज़मीन पर ऐसा कोई रास्तबाज़ इंसान नहीं कि नेकी ही करे और ख़ता न करे।
वाइज़ 7 in इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019