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लैव्यव्यवस्था 25:17-46 in Hindi

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लैव्यव्यवस्था 25:17-46 in पवित्र बाइबिल

17 तुम अपने-अपने भाईबन्धु पर उपद्रव न करना; अपने परमेश्‍वर का भय मानना; मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ।
18 “इसलिए तुम मेरी विधियों को मानना, और मेरे नियमों पर समझ बूझकर चलना; क्योंकि ऐसा करने से तुम उस देश में निडर बसे रहोगे।
19 भूमि अपनी उपज उपजाया करेगी, और तुम पेट भर खाया करोगे, और उस देश में निडर बसे रहोगे।
20 और यदि तुम कहो कि सातवें वर्ष में हम क्या खाएँगे, न तो हम बोएँगे न अपने खेत की उपज इकट्ठा करेंगे?
21 तो जानो कि मैं तुमको छठवें वर्ष में ऐसी आशीष दूँगा, कि भूमि की उपज तीन वर्ष तक काम आएगी।
22 तुम आठवें वर्ष में बोओगे, और पुरानी उपज में से खाते रहोगे, और नवें वर्ष की उपज जब तक न मिले तब तक तुम पुरानी उपज में से खाते रहोगे।
23 “भूमि सदा के लिये बेची न जाए, क्योंकि भूमि मेरी है; और उसमें तुम परदेशी और बाहरी होंगे।
24 लेकिन तुम अपने भाग के सारे देश में भूमि को छुड़ाने देना।
25 “यदि तेरा कोई भाईबन्धु कंगाल होकर अपनी निज भूमि में से कुछ बेच डाले, तो उसके कुटुम्बियों में से जो सबसे निकट हो वह आकर अपने भाईबन्धु के बेचे हुए भाग को छुड़ा ले।
26 यदि किसी मनुष्य के लिये कोई छुड़ानेवाला न हो, और उसके पास इतना धन हो कि आप ही अपने भाग को छुड़ा सके,
27 तो वह उसके बिकने के समय से वर्षों की गिनती करके शेष वर्षों की उपज का दाम उसको, जिसने उसे मोल लिया हो, फेर दे; तब वह अपनी निज भूमि का अधिकारी हो जाए।
28 परन्तु यदि उसके पास इतनी पूँजी न हो कि उसे फिर अपनी कर सके, तो उसकी बेची हुई भूमि जुबली के वर्ष तक मोल लेनेवालों के हाथ में रहे; और जुबली के वर्ष में छूट जाए तब वह मनुष्य अपनी निज भूमि का फिर अधिकारी हो जाए।
29 “फिर यदि कोई मनुष्य शहरपनाह वाले नगर में बसने का घर बेचे, तो वह बेचने के बाद वर्ष भर के अन्दर उसे छुड़ा सकेगा, अर्थात् पूरे वर्ष भर उस मनुष्य को छुड़ाने का अधिकार रहेगा।
30 परन्तु यदि वह वर्ष भर में न छुड़ाए, तो वह घर जो शहरपनाह वाले नगर में हो मोल लेनेवाले का बना रहे, और पीढ़ी-पीढ़ी में उसी में वंश का बना रहे; और जुबली के वर्ष में भी न छूटे।
31 परन्तु बिना शहरपनाह के गाँवों के घर तो देश के खेतों के समान गिने जाएँ; उनका छुड़ाना भी हो सकेगा, और वे जुबली के वर्ष में छूट जाएँ।
32 फिर भी लेवियों के निज भाग के नगरों के जो घर हों उनको लेवीय जब चाहें तब छुड़ाएँ।
33 और यदि कोई लेवीय अपना भाग न छुड़ाए, तो वह बेचा हुआ घर जो उसके भाग के नगर में हो जुबली के वर्ष में छूट जाए; क्योंकि इस्राएलियों के बीच लेवियों का भाग उनके नगरों में वे घर ही हैं।
34 पर उनके नगरों के चारों ओर की चराई की भूमि बेची न जाए; क्योंकि वह उनका सदा का भाग होगा।
35 “फिर यदि तेरा कोई भाईबन्धु कंगाल हो जाए, और उसकी दशा तेरे सामने तरस योग्य हो जाए, तो तू उसको संभालना; वह परदेशी या यात्री के समान तेरे संग रहे।
36 उससे ब्याज या बढ़ती न लेना; अपने परमेश्‍वर का भय मानना; जिससे तेरा भाईबन्धु तेरे संग जीवन निर्वाह कर सके। (लूका 6:35)
37 उसको ब्याज पर रुपया न देना, और न उसको भोजनवस्तु लाभ के लालच से देना।
38 मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ; मैं तुम्हें कनान देश देने के लिये और तुम्हारा परमेश्‍वर ठहरने की मनसा से तुमको मिस्र देश से निकाल लाया हूँ।
39 “फिर यदि तेरा कोई भाईबन्धु तेरे सामने कंगाल होकर अपने आप को तेरे हाथ बेच डाले, तो उससे दास के समान सेवा न करवाना।
40 वह तेरे संग मजदूर या यात्री के समान रहे, और जुबली के वर्ष तक तेरे संग रहकर सेवा करता रहे;
41 तब वह बाल-बच्चों समेत तेरे पास से निकल जाए, और अपने कुटुम्ब में और अपने पितरों की निज भूमि में लौट जाए।
42 क्योंकि वे मेरे ही दास हैं, जिनको मैं मिस्र देश से निकाल लाया हूँ; इसलिए वे दास की रीति से न बेचे जाएँ।
43 उस पर कठोरता से अधिकार न करना; अपने परमेश्‍वर का भय मानते रहना*।
44 तेरे जो दास-दासियाँ हों वे तुम्हारे चारों ओर की जातियों में से हों, और दास और दासियाँ उन्हीं में से मोल लेना।
45 जो यात्री लोग तुम्हारे बीच में परदेशी होकर रहेंगे, उनमें से और उनके घरानों में से भी जो तुम्हारे आस-पास हों, और जो तुम्हारे देश में उत्‍पन्‍न हुए हों, उनमें से तुम दास और दासी मोल लो; और वे तुम्हारा भाग ठहरें।
46 तुम अपने पुत्रों को भी जो तुम्हारे बाद होंगे उनके अधिकारी कर सकोगे, और वे उनका भाग ठहरें; उनमें से तुम सदा अपने लिये दास लिया करना, परन्तु तुम्हारे भाईबन्धु जो इस्राएली हों उन पर अपना अधिकार कठोरता से न जताना।
लैव्यव्यवस्था 25 in पवित्र बाइबिल