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लूका 12:6-35 in Urdu

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लूका 12:6-35 in इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

6 क्या दो पैसे की पाँच चिड़िया नहीं बिकती? तो भी ख़ुदा के सामने उनमें से एक भी फ़रामोश नहीं होती।
7 बल्कि तुम्हारे सिर के सब बाल भी गिने हुए है; डरो, मत तुम्हारी क़द्र तो बहुत सी चिड़ियों से ज़्यादा है।
8 “और मैं तुम से कहता हूँ कि जो कोई आदमियों के सामने मेरा इक़रार करे, इब्न — ए — आदम भी ख़ुदा के फ़रिश्तों के सामने उसका इक़रार करेगा।”
9 “मगर जो आदमियों के सामने मेरा इन्कार करे, ख़ुदा के फ़रिश्तों के सामने उसका इन्कार किया जाएगा।
10 और जो कोई इब्न — ए — आदम के ख़िलाफ़ कोई बात कहे, उसको मु'आफ़ किया जाएगा; लेकिन जो रूह — उल — क़ुद्दूस के हक़ में कुफ़्र बके, उसको मु'आफ़ न किया जाएगा।“
11 “और जब वो तुम को 'इबादतख़ानों में और हाकिमों और इख़्तियार वालों के पास ले जाएँ, तो फ़िक्र न करना कि हम किस तरह या क्या जवाब दें या क्या कहें।
12 क्यूँकि रूह — उल — क़ुद्दूस उसी वक़्त तुम्हें सिखा देगा कि क्या कहना चाहिए।“
13 “फिर भीड़ में से एक ने उससे कहा, ऐ उस्ताद! मेरे भाई से कह कि मेरे बाप की जायदाद का मेरा हिस्सा मुझे दे।”
14 उसने उससे कहा, “मियाँ! किसने मुझे तुम्हारा मुन्सिफ़ या बाँटने वाला मुक़र्रर किया है?”
15 और उसने उनसे कहा, “ख़बरदार! अपने आप को हर तरह के लालच से बचाए रख्खो, क्यूँकि किसी की ज़िन्दगी उसके माल की ज़्यादती पर मौक़ूफ़ नहीं।”
16 और उसने उनसे एक मिसाल कही, “किसी दौलतमन्द की ज़मीन में बड़ी फ़सल हुई।“
17 पस वो अपने दिल में सोचकर कहने लगा, 'मैं क्या करूँ? क्यूँकि मेरे यहाँ जगह नहीं जहाँ अपनी पैदावार भर रख्खूँ?'
18 उसने कहा, 'मैं यूँ करूँगा कि अपनी कोठियाँ ढा कर उनसे बड़ी बनाऊँगा;
19 और उनमें अपना सारा अनाज और माल भर दूँगा और अपनी जान से कहूँगा, कि ऐ जान! तेरे पास बहुत बरसों के लिए बहुत सा माल जमा है; चैन कर, खा पी ख़ुश रह।'
20 मगर ख़ुदा ने उससे कहा, 'ऐ नादान! इसी रात तेरी जान तुझ से तलब कर ली जाएगी, पस जो कुछ तू ने तैयार किया है वो किसका होगा?'
21 ऐसा ही वो शख़्स है जो अपने लिए ख़ज़ाना जमा करता है, और ख़ुदा के नज़दीक दौलतमन्द नहीं”
22 फिर उसने अपने शागिर्दों से कहा, “इसलिए मैं तुम से कहता हूँ कि अपनी जान की फ़िक्र न करो कि हम क्या खाएँगे, और न अपने बदन की कि क्या पहनेंगे।“
23 क्यूँकि जान ख़ुराक से बढ़ कर है और बदन पोशाक से।
24 परिन्दों पर ग़ौर करो कि न बोते हैं और न काटते, न उनके खित्ता होता है न कोठी; तोभी ख़ुदा उन्हें खिलाता है। तुम्हारी क़द्र तो परिन्दों से कहीं ज़्यादा है।
25 तुम में ऐसा कोन है जो फ़िक्र करके अपनी उम्र में एक घड़ी बढ़ा सके?
26 पस जब सबसे छोटी बात भी नहीं कर सकते, तो बाक़ी चीज़ों की फ़िक्र क्यूँ करते हो?
27 सोसन के दरख़्तों पर ग़ौर करो कि किस तरह बढ़ते है; वो न मेहनत करते हैं न कातते हैं, तोभी मैं तुम से कहता हूँ कि सुलैमान भी बावजूद अपनी सारी शान — ओ — शौकत के उनमें से किसी की तरह मुलब्बस न था।
28 पस जब ख़ुदा मैदान की घास को जो आज है कल तंदूर में झोंकी जाएगी, ऐसी पोशाक पहनाता है; तो ऐ कम ईमान वालो! तुम को क्यूँ न पहनाएगा?
29 और तुम इसकी तलाश में न रहो कि क्या खाएँगे या क्या पीएँगे, और न शक्की बनो।
30 क्यूँकि इन सब चीज़ों की तलाश में दुनिया की क़ौमें रहती हैं, लेकिन तुम्हारा आसमानी बाप जानता है कि तुम इन चीज़ों के मुहताज हो।
31 हाँ, उसकी बादशाही की तलाश में रहो तो ये चीज़ें भी तुम्हें मिल जाएँगी।”
32 “ऐ छोटे गल्ले, न डर; क्यूँकि तुम्हारे आसमानी बाप को पसन्द आया कि तुम्हें बादशाही दे।
33 अपना माल अस्बाब बेचकर ख़ैरात कर दो, और अपने लिए ऐसे बटवे बनाओ जो पुराने नहीं होते; या'नि आसमान पर ऐसा ख़ज़ाना जो ख़ाली नहीं होता, जहाँ चोर नज़दीक नहीं जाता, और कीड़ा ख़राब नहीं करता।
34 क्यूँकि जहाँ तुम्हारा ख़ज़ाना है, वहीं तुम्हारा दिल भी रहेगा।”
35 “तुम्हारी कमरें बँधी रहें और तुम्हारे चराग़ जलते रहें।
लूका 12 in इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019