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रोमियों 3:12-26 in Hindi

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रोमियों 3:12-26 in पवित्र बाइबिल

12 सब भटक गए हैं, सब के सब निकम्मे बन गए; कोई भलाई करनेवाला नहीं, एक भी नहीं। (भज. 14:3, भज. 53:1)
13 उनका गला खुली हुई कब्र है: उन्होंने अपनी जीभों से छल किया है: उनके होंठों में साँपों का विष है। (भज. 5:9, भज. 140:3)
14 और उनका मुँह श्राप और कड़वाहट से भरा है। (भज. 10:7)
15 उनके पाँव लहू बहाने को फुर्तीले हैं।
16 उनके मार्गों में नाश और क्लेश है।
17 उन्होंने कुशल का मार्ग नहीं जाना। (यशा. 59:8)
18 उनकी आँखों के सामने परमेश्‍वर का भय नहीं।” (भज. 36:1)
19 हम जानते हैं, कि व्यवस्था जो कुछ कहती है उन्हीं से कहती है, जो व्यवस्था के अधीन हैं इसलिए कि हर एक मुँह बन्द किया जाए, और सारा संसार परमेश्‍वर के दण्ड के योग्य ठहरे।
20 क्योंकि व्यवस्था के कामों* से कोई प्राणी उसके सामने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिए कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहचान होती है। (भज. 143:2)
21 पर अब बिना व्यवस्था परमेश्‍वर की धार्मिकता प्रगट हुई है, जिसकी गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता देते हैं,
22 अर्थात् परमेश्‍वर की वह धार्मिकता, जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करनेवालों के लिये है। क्योंकि कुछ भेद नहीं;
23 इसलिए कि सब ने पाप किया है और परमेश्‍वर की महिमा* से रहित है,
24 परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत-मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं।
25 उसे परमेश्‍वर ने उसके लहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है, कि जो पाप पहले किए गए, और जिन पर परमेश्‍वर ने अपनी सहनशीलता से ध्यान नहीं दिया; उनके विषय में वह अपनी धार्मिकता प्रगट करे।
26 वरन् इसी समय उसकी धार्मिकता प्रगट हो कि जिससे वह आप ही धर्मी ठहरे, और जो यीशु पर विश्वास करे, उसका भी धर्मी ठहरानेवाला हो।
रोमियों 3 in पवित्र बाइबिल