10 वो उसी वक़्त उसके क़दमों पर गिर पड़ी और उसका दम निकल गया, और जवानों ने अन्दर आकर उसे मुर्दा पाया और बाहर ले जाकर उसके शौहर के पास दफ़्न कर दिया।
11 और सारी कलीसिया बल्कि इन बातों के सब सुननेवालों पर बड़ा ख़ौफ़ छा गया।
12 और रसूलों के हाथों से बहुत से निशान और अजीब काम लोगों में ज़ाहिर होते थे, और वो सब एक दिल होकर सुलैमान के बरामदेह में जमा हुआ करते थे।
13 लेकिन बे ईमानों में से किसी को हिम्मत न हुई, कि उन में जा मिले, मगर लोग उनकी बड़ाई करते थे।
14 और ईमान लाने वाले मर्द — ओ — औरत ख़ुदावन्द की कलीसिया में और भी कसरत से आ मिले।
15 यहाँ तक कि लोग बीमारों को सड़कों पर ला लाकर चार पाइयों और ख़टोलो पर लिटा देते थे, ताकि जब पतरस आए तो उसका साया ही उन में से किसी पर पड़ जाए।
16 और येरूशलेम के चारों तरफ़ के कस्बों से भी लोग बीमारों और नापाक रूहों के सताए हुवों को लाकर कसरत से जमा होते थे, और वो सब अच्छे कर दिए जाते थे।
17 फिर सरदार काहिन और उसके सब साथी जो सदूक़ियों के फ़िरक़े के थे, हसद के मारे उठे।
18 और रसूलों को पकड़ कर हवालात में रख दिया।
19 मगर ख़ुदावन्द के एक फ़रिश्ते ने रात को क़ैदख़ाने के दरवाज़े खोले और उन्हें बाहर लाकर कहा कि।
20 “जाओ, हैकल में खड़े होकर इस ज़िन्दगी की सब बातें लोगों को सुनाओ।”
21 वो ये सुनकर सुबह होते ही हैकल में गए, और ता'लीम देने लगे; मगर सरदार काहिन और उसके साथियों ने आकर सद्रे — ऐ — अदालत वालों और बनी इस्राईल के सब बुज़ुर्गों को जमा किया, और क़ैद खाने में कहला भेजा उन्हें लाएँ।
22 लेकिन सिपाहियों ने पहुँच कर उन्हें क़ैद खाने में न पाया, और लौट कर ख़बर दी
23 “हम ने क़ैद खाने को तो बड़ी हिफ़ाज़त से बन्द किया हुआ, और पहरेदारों को दरवाज़ों पर खड़े पाया; मगर जब खोला तो अन्दर कोई न मिला!”
24 जब हैकल के सरदार और सरदार काहिनों ने ये बातें सुनी तो उनके बारे में हैरान हुए, कि इसका क्या अंजाम होगा?
25 इतने में किसी ने आकर उन्हें ख़बर दी कि देखो, वो आदमी जिन्हें तुम ने क़ैद किया था; हैकल में खड़े लोगों को ता'लीम दे रहे हैं।
26 तब सरदार सिपाहियों के साथ जाकर उन्हें ले आया; लेकिन ज़बरदस्ती नहीं, क्यूँकि लोगों से डरते थे, कि हम पर पथराव न करें।
27 फिर उन्हें लाकर 'अदालत में खड़ा कर दिया, और सरदार काहिन ने उन से ये कहा।