12 जब ये सुना तो हम ने और वहाँ के लोगों ने उस की मिन्नत की, कि येरूशलेम को न जाए।
13 मगर पौलुस ने जवाब दिया, कि तुम क्या करते हो? क्यूँ रो रो कर मेरा दिल तोड़ते हो? में तो येरूशलेम में ख़ुदावन्द ईसा मसीह “के नाम पर न सिर्फ़ बाँधे जाने बल्कि मरने को भी तैयार हूँ।”
14 जब उस ने न माना तो हम ये कह कर चुप हो गए “कि ख़ुदावन्द की मर्ज़ी पूरी हो।”
15 उन दिनों के बाद हम अपने सफ़र का सामान तैयार करके येरूशलेम को गए।
16 और क़ैसरिया से भी कुछ शागिर्द हमारे साथ चले और एक पुराने शागिर्द मनासोन कुप्रीस के रहने वाले को साथ ले आए, ताकि हम उस के मेहमान हों।
17 जब हम येरूशलेम में पहुँचे तो ईमानदार भाई बड़ी ख़ुशी के साथ हम से मिले।