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रसूलों 17:12-31 in Urdu

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रसूलों 17:12-31 in इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

12 पस, उन में से बहुत सारे ईमान लाए और यूनानियों में से भी बहुत सी 'इज़्ज़तदार 'औरतें और मर्द ईमान लाए।
13 जब थिस्सलुनीकियों के यहूदियों को मा'लूम हुआ कि पौलुस बिरिया में भी ख़ुदा का कलाम सुनाता है, तो वहाँ भी जाकर लोगों को उभारा और उन में खलबली डाली।
14 उस वक़्त भाइयों ने फ़ौरन पौलुस को रवाना किया कि समुन्दर के किनारे तक चला जाए, लेकिन सीलास और तीमुथियुस वहीं रहे।
15 और पौलुस के रहबर उसे अथेने तक ले गए। और सीलास और तीमुथियुस के लिए ये हुक्म लेकर रवाना हुए। कि जहाँ तक हो सके जल्द मेरे पास आओ।
16 जब पौलुस अथेने में उन की राह देख रहा था, तो शहर को बुतों से भरा हुआ देख कर उस का जी जल गया।
17 इस लिए वो इबादतख़ाने में यहूदियों और ख़ुदा परस्तों से और चौक में जो मिलते थे, उन से रोज़ बहस किया करता था।
18 और चन्द इपकूरी और स्तोइकी फ़ैलसूफ़ उसका मुक़ाबिला करने लगे कुछ ने कहा, ये बकवासी क्या कहना चाहता है? औरों ने कहा ये ग़ैर मा'बूदों की ख़बर देने वाला मा'लूम होता है इस लिए कि वो ईसा और क़यामत की ख़ुशख़बरी देता है।
19 पस, वो उसे अपने साथ अरियुपगुस जगह पर ले गए और कहा, आया हमको मा'लूम हो सकता है। कि ये नई ता'लीम जो तू देता है, क्या है?
20 क्यूँकि तू हमें अनोखी बातें सुनाता है पस, हम जानना चाहते हैं। कि इन से ग़रज़ क्या है,
21 (इस लिए कि सब अथेनवी और परदेसी जो वहाँ मुक़ीम थे, अपनी फ़ुरसत का वक़्त नई नई बातें करने सुनने के सिवा और किसी काम में सर्फ़ न करते थे)
22 पौलुस ने अरियुपगुस के बीच में खड़े हो कर कहा। ऐ अथेने वालो, मैं देखता हूँ कि तुम हर बात में देवताओं के बड़े मानने वाले हो।
23 चुनाँचे मैंने सैर करते और तुम्हारे मा'बूदों पर ग़ौर करते वक़्त एक ऐसी क़ुर्बानगाह भी पाई, जिस पर लिखा था, ना मा'लूम ख़ुदा के लिए पस, जिसको तुम बग़ैर मा'लूम किए पूजते हो, मैं तुम को उसी की ख़बर देता हूँ।
24 जिस ख़ुदा ने दुनिया और उस की सब चीज़ों को पैदा किया वो आसमान और ज़मीन का मालिक होकर हाथ के बनाए हुए मक़दिस में नहीं रहता।
25 न किसी चीज़ का मुहताज होकर आदमियों के हाथों से ख़िदमत लेता है। क्यूँकि वो तो ख़ुद सबको ज़िन्दगी और साँस और सब कुछ देता है।
26 और उस ने एक ही नस्ल से आदमियों की हर एक क़ौम तमाम रूए ज़मीन पर रहने के लिए पैदा की और उन की 'तहदाद और रहने की हदें मुक़र्रर कीं।
27 ताकि ख़ुदा को ढूँडें, शायद कि टटोलकर उसे पाएँ, हर वक़्त वो हम में से किसी से दूर नहीं।
28 क्यूँकि उसी में हम जीते और चलते फिरते और मौजूद हैं, जैसा कि तुम्हारे शा'यरों में से भी कुछ ने कहा है। हम तो उस की नस्ल भी हैं।
29 पस, ख़ुदा की नस्ल होकर हम को ये ख़याल करना मुनासिब नहीं कि ज़ात — ए — इलाही उस सोने या रुपऐ या पत्थर की तरह है जो आदमियों के हुनर और ईजाद से गढ़े गए हों।
30 पस, ख़ुदा जिहालत के वक़्तों से चश्म पोशी करके अब सब आदमियों को हर जगह हुक्म देता है। कि तौबा करें।
31 क्यूँकि उस ने एक दिन ठहराया है, जिस में वो रास्ती से दुनिया की अदालत उस आदमी के ज़रिए करेगा, जिसे उस ने मुक़र्रर किया है और उसे मुर्दों में से जिला कर ये बात सब पर साबित कर दी है।
रसूलों 17 in इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019