15 और जब उस ने अपने घराने समेत बपतिस्मा लिया तो मिन्नत कर के कहा कि “अगर तुम मुझे ख़ुदावन्द की ईमानदार बन्दी समझते हो तो चल कर मेरे घर में रहो” पस, उसने हमें मजबूर किया।
16 जब हम दुआ करने की जगह जा रहे थे, तो ऐसा हुआ कि हमें एक लौंडी मिली जिस में पोशीदा रूहें थी, वो ग़ैब गोई से अपने मालिकों के लिए बहुत कुछ कमाती थी।
17 वो पौलुस के, और हमारे पीछे आकर चिल्लाने लगी “कि ये आदमी ख़ुदा के बन्दे हैं जो तुम्हें नजात की राह बताते हैं।”
18 वो बहुत दिनों तक ऐसा ही करती रही। आख़िर पौलुस सख़्त रंजीदा हुआ और फिर कर उस रूह से कहा कि “मैं तुझे ईसा मसीह के नाम से हुक्म देता हूँ कि इस में से निकल जा!” वो उसी वक़्त निकल गई।
19 जब उस के मालिकों ने देखा कि हमारी कमाई की उम्मीद जाती रही तो पौलुस और सीलास को पकड़कर हाकिमों के पास चौक में खींच ले गए।
20 और उन्हें फ़ौजदारी के हाकिमों के आगे ले जा कर कहा कि ये आदमी जो यहूदी हैं हमारे शहर में बड़ी खलबली डालते हैं।
21 और “ऐसी रस्में बताते हैं, जिनको क़ुबूल करना और अमल में लाना हम रोमियों को पसन्द नहीं।”
22 और आम लोग भी मुत्तफ़िक़ होकर उनकी मुख़ालिफ़त पर आमादा हुए, और फ़ौजदारी के हाकिमों ने उन के कपड़े फाड़कर उतार डाले और बेंत लगाने का हुक्म दिया