11 अब देख तुझ पर ख़ुदावन्द का ग़ज़ब है और तू अन्धा होकर कुछ मुद्दत तक सूरज को न देखे गा। उसी वक़्त अँधेरा उस पर छा गया, और वो ढूँडता फिरा कि कोई उसका हाथ पकड़कर ले चले।
12 तब सूबेदार ये माजरा देखकर और ख़ुदावन्द की तालीम से हैरान हो कर ईमान ले आया।
13 फिर पौलुस और उसके साथी पाफ़ुस शहर से जहाज़ पर रवाना होकर पम्फ़ीलिया मुल्क के पिरगा शहर में आए; और यूहन्ना उनसे जुदा होकर येरूशलेम को वापस चला गया।
14 और वो पिरगा शहर से चलकर पिसदिया मुल्क के अन्ताकिया शहर में पहुँचे, और सबत के दिन इबादतख़ाने में जा बैठे।
15 फिर तौरेत और नबियों की किताब पढ़ने के बाद इबादतख़ाने के सरदारों ने उन्हें कहला भेजा “ऐ भाइयों अगर लोगों की नसीहत के वास्ते तुम्हारे दिल में कोई बात हो तो बयान करो।”
16 पस, पौलुस ने खड़े होकर और हाथ से इशारा करके कहा, ऐ इस्राईलियो और ऐ ख़ुदा से डरनेवाले सुनो!
17 इस उम्मत इस्राईल के ख़ुदा ने हमारे बाप दादा को चुन लिया और जब ये उम्मत मुल्के मिस्र में परदेसियों की तरह रहती थी, उसको सरबलन्द किया और ज़बरदस्त हाथ से उन्हें वहाँ से निकाल लाया।
18 और कोई चालीस बरस तक वीरानों में उनकी आदतों की बर्दाश्त करता रहा,
19 और कनान के मुल्क में सात क़ौमों को लूट करके तक़रीबन साढ़े चार सौ बरस में उनका मुल्क इन की मीरास कर दिया।
20 और इन बातों के बाद शमुएल नबी के ज़माने तक उन में क़ाज़ी मुक़र्रर किए।