31 पस ईसा ने उन यहूदियों से कहा, जिन्होंने उसका यक़ीन किया था, “अगर तुम कलाम पर क़ाईम रहोगे, तो हक़ीक़त में मेरे शागिर्द ठहरोगे।
32 और सच्चाई को जानोगे और सच्चाई तुम्हें आज़ाद करेगी।”
33 उन्होंने उसे जवाब दिया, “हम तो अब्रहाम की नस्ल से हैं, और कभी किसी की ग़ुलामी में नहीं रहे। तू क्यूँकर कहता है कि तुम आज़ाद किए जाओगे?”
34 ईसा ने उन्हें जवाब दिया, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जो कोई गुनाह करता है गुनाह का ग़ुलाम है।
35 और ग़ुलाम हमेशा तक घर में नहीं रहता, बेटा हमेशा रहता है।
36 पस अगर बेटा तुम्हें आज़ाद करेगा, तो तुम वाक़'ई आज़ाद होगे।
37 मैं जानता हूँ तुम अब्रहाम की नस्ल से हो, तभी मेरे क़त्ल की कोशिश में हो क्यूँकि मेरा कलाम तुम्हारे दिल में जगह नहीं पाता।
38 मैंने जो अपने बाप के यहाँ देखा है वो कहता हूँ, और तुम ने जो अपने बाप से सुना वो करते हो।”
39 उन्होंने जवाब में उससे कहा, हमारा बाप तो अब्रहाम है। ईसा ने उनसे कहा, “अगर तुम अब्रहाम के फ़र्ज़न्द होते तो अब्रहाम के से काम करते।
40 लेकिन अब तुम मुझ जैसे शख़्स को क़त्ल की कोशिश में हो, जिसने तुम्हें वही हक़ बात बताई जो ख़ुदा से सुनी; अब्रहाम ने तो ये नहीं किया था।
41 तुम अपने बाप के से काम करते हो।” उन्होंने उससे कहा, “हम हराम से पैदा नहीं हुए। हमारा एक बाप है या'नी ख़ुदा।”
42 ईसा ने उनसे कहा, “अगर ख़ुदा तुम्हारा होता, तो तुम मुझ से मुहब्बत रखते; इसलिए कि मैं ख़ुदा में से निकला और आया हूँ, क्यूँकि मैं आप से नहीं आया बल्कि उसी ने मुझे भेजा।
43 तुम मेरी बातें क्यूँ नहीं समझते? इसलिए कि मेरा कलाम सुन नहीं सकते।
44 तुम अपने बाप इब्लीस से हो और अपने बाप की ख़्वाहिशों को पूरा करना चाहते हो। वो शुरू' ही से ख़ूनी है और सच्चाई पर क़ाइम नहीं रहा, क्यूँकि उस में सच्चाई नहीं है। जब वो झूठ बोलता है तो अपनी ही सी कहता है, क्यूँकि वो झूठा है बल्कि झूठ का बाप है।
45 लेकिन मैं जो सच बोलता हूँ, इसी लिए तुम मेरा यक़ीन नहीं करते।
46 तुम में से कौन मुझ पर गुनाह साबित करता है? अगर मैं सच बोलता हूँ, तो मेरा यक़ीन क्यूँ नहीं करते?
47 जो ख़ुदा से होता है वो ख़ुदा की बातें सुनता है; तुम इसलिए नहीं सुनते कि ख़ुदा से नहीं हो।”
48 यहूदियों ने जवाब में उससे कहा, “क्या हम सच नहीं कहते, कि तू सामरी है और तुझ में बदरूह है।”
49 ईसा ने जवाब दिया, “मुझ में बदरूह नहीं; मगर मैं अपने बाप की इज़्ज़त करता हूँ, और तुम मेरी बे'इज़्ज़ती करते हो।
50 लेकिन मैं अपनी तारीफ़ नहीं चाहता; हाँ, एक है जो उसे चाहता और फ़ैसला करता है।
51 मैं तुम से सच कहता हूँ कि अगर कोई इंसान मेरे कलाम पर 'अमल करेगा, तो हमेशा तक कभी मौत को न देखेगा।”
52 यहूदियों ने उससे कहा, “अब हम ने जान लिया कि तुझ में बदरूह है! अब्रहाम मर गया और नबी मर गए, मगर तू कहता है, 'अगर कोई मेरे कलाम पर 'अमल करेगा, तो हमेशा तक कभी मौत का मज़ा न चखेगा।
53 हमारे बुज़ुर्ग अब्रहाम जो मर गए, क्या तू उससे बड़ा है? और नबी भी मर गए। तू अपने आपको क्या ठहराता है?”
54 ईसा ने जवाब दिया, “अगर मैं आप अपनी बड़ाई करूँ, तो मेरी बड़ाई कुछ नहीं; लेकिन मेरी बड़ाई मेरा बाप करता है, जिसे तुम कहते हो कि हमारा ख़ुदा है।
55 तुम ने उसे नहीं जाना, लेकिन मैं उसे जानता हूँ; और अगर कहूँ कि उसे नहीं जानता, तो तुम्हारी तरह झूठा बनूँगा। मगर मैं उसे जानता और उसके कलाम पर 'अमल करता हूँ।
56 तुम्हारा बाप अब्रहाम मेरा दिन देखने की उम्मीद पर बहुत ख़ुश था, चुनाँचे उसने देखा और ख़ुश हुआ।”