28 पस ईसा ने कहा, “जब तुम इब्न — ए — आदम को ऊँचे पर चढ़ाओगे तो जानोगे कि मैं वही हूँ, और अपनी तरफ़ से कुछ नहीं करता, बल्कि जिस तरह बाप ने मुझे सिखाया उसी तरह ये बातें कहता हूँ।
29 और जिसने मुझे भेजा वो मेरे साथ है; उसने मुझे अकेला नहीं छोड़ा, क्यूँकि मैं हमेशा वही काम करता हूँ जो उसे पसन्द आते हैं।”
30 जब ईसा ये बातें कह रहा था तो बहुत से लोग उस पर ईमान लाए।
31 पस ईसा ने उन यहूदियों से कहा, जिन्होंने उसका यक़ीन किया था, “अगर तुम कलाम पर क़ाईम रहोगे, तो हक़ीक़त में मेरे शागिर्द ठहरोगे।
32 और सच्चाई को जानोगे और सच्चाई तुम्हें आज़ाद करेगी।”
33 उन्होंने उसे जवाब दिया, “हम तो अब्रहाम की नस्ल से हैं, और कभी किसी की ग़ुलामी में नहीं रहे। तू क्यूँकर कहता है कि तुम आज़ाद किए जाओगे?”
34 ईसा ने उन्हें जवाब दिया, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जो कोई गुनाह करता है गुनाह का ग़ुलाम है।
35 और ग़ुलाम हमेशा तक घर में नहीं रहता, बेटा हमेशा रहता है।
36 पस अगर बेटा तुम्हें आज़ाद करेगा, तो तुम वाक़'ई आज़ाद होगे।