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यूह 6:11-40 in Urdu

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यूह 6:11-40 in इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

11 ईसा ने वो रोटियाँ ली और शुक्र करके उन्हें जो बैठे थे बाँट दीं, और इसी तरह मछलियों में से जिस क़दर चाहते थे बाँट दिया।
12 जब वो सेर हो चुके तो उसने अपने शागिर्दों से कहा, “बचे हुए बे इस्तेमाल खाने को जमा करो, ताकि कुछ ज़ाया न हो।”
13 चुनाँचे उन्होंने जमा किया, और जौ की पाँच रोटियों के टुकड़ों से जो खानेवालों से बच रहे थे बारह टोकरियाँ भरीं
14 पस जो मोजिज़ा उसने दिखाया, “वो लोग उसे देखकर कहने लगे, जो नबी दुनियाँ में आने वाला था हक़ीक़त में यही है।”
15 पस ईसा ये मा'लूम करके कि वो आकर मुझे बादशाह बनाने के लिए पकड़ना चाहते हैं, फिर पहाड़ पर अकेला चला गया।
16 फिर जब शाम हुई तो उसके शागिर्द झील के किनारे गए,
17 और नाव में बैठकर झील के पार कफ़रनहूम को चले जाते थे। उस वक़्त अन्धेरा हो गया था, और 'ईसा अभी तक उनके पास न आया था।
18 और आँधी की वजह से झील में मौजें उठने लगीं।
19 पस जब वो खेते — खेते तीन — चार मील के क़रीब निकल गए, तो उन्होंने 'ईसा को झील पर चलते और नाव के नज़दीक आते देखा और डर गए।
20 मगर उसने उनसे कहा, “मैं हूँ, डरो मत।”
21 पस वो उसे नाव में चढ़ा लेने को राज़ी हुए, और फ़ौरन वो नाव उस जगह जा पहुँची जहाँ वो जाते थे।
22 दूसरे दिन उस भीड़ ने जो झील के पार खड़ी थी, ये देखा कि यहाँ एक के सिवा और कोई छोटी नाव न थी; और 'ईसा अपने शागिर्दों के साथ नाव पर सवार न हुआ था, बल्कि सिर्फ़ उसके शागिर्द चले गए थे।
23 (लेकिन कुछ छोटी नावें तिबरियास से उस जगह के नज़दीक आईं, जहाँ उन्होंने ख़ुदावन्द के शुक्र करने के बाद रोटी खाई थी।)
24 पस जब भीड़ ने देखा कि यहाँ न 'ईसा है न उसके शागिर्द, तो वो ख़ुद छोटी नावों में बैठकर 'ईसा की तलाश में कफ़रनहूम को आए।
25 और झील के पार उससे मिलकर कहा, “ऐ रब्बी! तू यहाँ कब आया?”
26 ईसा ने उनके जवाब में कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि तुम मुझे इसलिए नहीं ढूँडते कि मोजिज़े देखे, बल्कि इसलिए कि तुम रोटियाँ खाकर सेर हुए।
27 फ़ानी ख़ुराक के लिए मेहनत न करो, बल्कि उस ख़ुराक के लिए जो हमेशा की ज़िन्दगी तक बाक़ी रहती है जिसे इब्न — ए — आदम तुम्हें देगा; क्यूँकि बाप या'नी ख़ुदा ने उसी पर मुहर की है।”
28 पस उन्होंने उससे कहा, “हम क्या करें ताकि ख़ुदा के काम अन्जाम दें?”
29 ईसा ने जवाब में उनसे कहा, “ख़ुदा का काम ये है कि जिसे उसने भेजा है उस पर ईमान लाओ।”
30 पस उन्होंने उससे कहा, “फिर तू कौन सा निशान दिखाता है, ताकि हम देखकर तेरा यक़ीन करें? तू कौन सा काम करता है?
31 हमारे बाप — दादा ने वीराने में मन्ना खाया, चुनाँचे लिखा है, 'उसने उन्हें खाने के लिए आसमान से रोटी दी।”
32 ईसा ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूँ, कि मूसा ने तो वो रोटी आसमान से तुम्हें न दी, लेकिन मेरा बाप तुम्हें आसमान से हक़ीक़ी रोटी देता है।
33 क्यूँकि ख़ुदा की रोटी वो है जो आसमान से उतरकर दुनियाँ को ज़िन्दगी बख़्शती है।“
34 उन्होंने उससे कहा, ऐ ख़ुदावन्द! ये रोटी हम को हमेशा दिया कर।”
35 ईसा ने उनसे कहा, “ज़िन्दगी की रोटी मैं हूँ; जो मेरे पास आए वो हरगिज़ भूखा न होगा, और जो मुझ पर ईमान लाए वो कभी प्यासा ना होगा।
36 लेकिन मैंने तुम से कहा कि तुम ने मुझे देख लिया है फिर भी ईमान नहीं लाते।
37 जो कुछ बाप मुझे देता है मेरे पास आ जाएगा, और जो कोई मेरे पास आएगा उसे मैं हरगिज़ निकाल न दूँगा।
38 क्यूँकि मैं आसमान से इसलिए नहीं उतरा हूँ कि अपनी मर्ज़ी के मुवाफ़िक़ 'अमल करूँ, बल्कि इसलिए कि अपने भेजनेवाले की मर्ज़ी के मुवाफ़िक़ 'अमल करूँ।
39 और मेरे भेजनेवाले की मर्ज़ी ये है, कि जो कुछ उसने मुझे दिया है मैं उसमें से कुछ खो न दूँ, बल्कि उसे आख़िरी दिन फिर ज़िन्दा करूँ।
40 क्यूँकि मेरे बाप की मर्ज़ी ये है, कि जो कोई बेटे को देखे और उस पर ईमान लाए, और हमेशा की ज़िन्दगी पाए और मैं उसे आख़िरी दिन फिर ज़िन्दा करूँ।”
यूह 6 in इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019