4 नीकुदेमुस ने उससे कहा, “आदमी जब बूढ़ा हो गया, तो क्यूँकर पैदा हो सकता है? क्या वो दोबारा अपनी माँ के पेट में दाख़िल होकर पैदा हो सकता है?”
5 ईसा ने जवाब दिया, “मैं तुझ से सच कहता हूँ, जब तक कोई आदमी पानी और रूह से पैदा न हो, वो ख़ुदा की बादशाही में दाख़िल नहीं हो सकता।
6 जो जिस्म से पैदा हुआ है जिस्म है, और जो रूह से पैदा हुआ है रूह है।
7 ता'अज्जुब न कर कि मैंने तुझ से कहा, 'तुम्हें नए सिरे से पैदा होना ज़रूर है।
8 हवा जिधर चाहती है चलती है और तू उसकी आवाज़ सुनता है, मगर नहीं कि वो कहाँ से आती और कहाँ को जाती है। जो कोई रूह से पैदा हुआ ऐसा ही है।”
9 नीकुदेमुस ने जवाब में उससे कहा, “ये बातें क्यूँकर हो सकती हैं?”
10 ईसा ने जवाब में उससे कहा, “बनी — इस्राईल का उस्ताद होकर क्या तू इन बातों को नहीं जानता?
11 मैं तुझ से सच कहता हूँ कि जो हम जानते हैं वो कहते हैं, और जिसे हम ने देखा है उसकी गवाही देते हैं, और तुम हमारी गवाही क़ुबूल नहीं करते।
12 जब मैंने तुम से ज़मीन की बातें कहीं और तुम ने यक़ीन नहीं किया, तो अगर मैं तुम से आसमान की बातें कहूँ तो क्यूँकर यक़ीन करोगे?
13 आसमान पर कोई नहीं चढ़ा, सिवा उसके जो आसमान से उतरा या'नी इब्न — ए — आदम जो आसमान में है।
14 और जिस तरह मूसा ने पीतल के साँपको वीराने में ऊँचे पर चढ़ाया, उसी तरह ज़रूर है कि इब्न — ए — आदम भी ऊँचे पर चढ़ाया जाए;
15 ताकि जो कोई ईमान लाए उसमें हमेशा की ज़िन्दगी पाए।”
16 “क्यूँकि ख़ुदा ने दुनियाँ से ऐसी मुहब्बत रख्खी कि उसने अपना इकलौता बेटा बख़्श दिया, ताकि जो कोई उस पर ईमान लाए हलाक न हो, बल्कि हमेशा की ज़िन्दगी पाए।
17 क्यूँकि ख़ुदा ने बेटे को दुनियाँ में इसलिए नहीं भेजा कि दुनियाँ पर सज़ा का हुक्म करे, बल्कि इसलिए कि दुनियाँ उसके वसीले से नजात पाए।
18 जो उस पर ईमान लाता है उस पर सज़ा का हुक्म नहीं होता, जो उस पर ईमान नहीं लाता उस पर सज़ा का हुक्म हो चुका; इसलिए कि वो ख़ुदा के इकलौते बेटे के नाम पर ईमान नहीं लाया।
19 और सज़ा के हुक्म की वजह ये है कि नूर दुनियाँ में आया है, और आदमियों ने तारीकी को नूर से ज़्यादा पसन्द किया इसलिए कि उनके काम बुरे थे।
20 क्यूँकि जो कोई बदी करता है वो नूर से दुश्मनी रखता है और नूर के पास नहीं आता, ऐसा न हो कि उसके कामों पर मलामत की जाए।
21 मगर जो सचाई पर 'अमल करता है वो नूर के पास आता है, ताकि उसके काम ज़ाहिर हों कि वो ख़ुदा में किए गए हैं।”
22 इन बातों के बाद ईसा और शागिर्द यहूदिया के मुल्क में आए, और वो वहाँ उनके साथ रहकर बपतिस्मा देने लगा।
23 और युहन्ना भी 'एनोन में बपतिस्मा देता था जो यरदन नदी के पासथा, क्यूँकि वहाँ पानी बहुत था और लोग आकर बपतिस्मा लेते थे।
24 (क्यूँकि यहून्ना उस वक़्त तक क़ैदख़ाने में डाला न गया था)
25 पस युहन्ना के शागिर्दों की किसी यहूदी के साथ पाकीज़गी के बारे में बहस हुई।
26 उन्होंने युहन्ना के पास आकर कहा, “ऐ रब्बी! जो शख़्स यरदन के पार तेरे साथ था, जिसकी तूने गवाही दी है; देख, वो बपतिस्मा देता है और सब उसके पास आते हैं।”
27 युहन्ना ने जवाब में कहा, इंसान कुछ नहीं पा सकता, जब तक उसको आसमान से न दिया जाए।