14अब दोपहर के तक़रीबन बारह बज गए थे। उस दिन ईद के लिए तैयारियाँ की जाती थीं, क्यूँकि अगले दिन ईद का आग़ाज़ था। पिलातुस बोल “उठा, लो, तुम्हारा बादशाह!”
15लेकिन वह चिल्लाते रहे, “ले जाएँ इसे, ले जाएँ! इसे मस्लूब करें!” पीलातुस ने सवाल किया, “क्या मैं तुम्हारे बादशाह को सलीब पर चढ़ाऊँ?” राहनुमा इमामों ने जवाब दिया, “सिवा-ए-शहनशाह के हमारा कोई बादशाह नहीं है।”
16फिर पिलातुस ने ईसा को उन के हवाले कर दिया ताकि उसे मस्लूब किया जाए।
17वह अपनी सलीब उठाए शहर से निकला और उस जगह पहुँचा जिस का नाम खोपड़ी (अरामी ज़बान में गुल्गुता) था।
18वहाँ उन्हों ने उसे सलीब पर चढ़ा दिया। साथ साथ उन्हों ने ईसा के बाएँ और दाएँ हाथ दो डाकू को मस्लूब किया।
19पिलातुस ने एक तख़्ती बनवा कर उसे ईसा की सलीब पर लगवा दिया। तख़्ती पर लिखा था, 'ईसा नासरी, यहूदियों का बादशाह।
20बहुत से यहूदियों ने यह पढ़ लिया, क्यूँकि ईसा को सलीब पर चढ़ाए जाने की जगह शहर के क़रीब थी और यह जुमला अरामी, लातिनी और यूनानी ज़बानों में लिखा था।
21यह देख कर यहूदियों के राहनुमा इमामों ने ऐतराज़ किया, “यहूदियों का बादशाह न लिखें बल्कि यह कि इस आदमी ने यहूदियों का बादशाह होने का दावा किया”।
22पिलातुस ने जवाब दिया, “जो कुछ मैं ने लिख दिया सो लिख दिया।”
23ईसा को सलीब पर चढ़ाने के बाद फ़ौजियों ने उस के कपड़े ले कर चार हिस्सों में बाँट लिए, हर फ़ौजी के लिए एक हिस्सा। लेकिन चोग़ा बेजोड़ था। वह ऊपर से ले कर नीचे तक बुना हुआ एक ही टुकड़े का था।
24इस लिए फ़ौजियों ने कहा, “आओ, इसे फाड़ कर तक़्सीम न करें बल्कि इस पर पर्ची डालें।” यूँ कलाम — ए — मुक़द्दस की यह पेशीनगोई पूरी हुई, “उन्हों ने आपस में मेरे कपड़े बाँट लिए और मेरे लिबास पर पर्ची डाला।” फ़ौजियों ने यही कुछ किया।