34 इस पर लोगों ने उससे कहा, “हमने व्यवस्था की यह बात सुनी है, कि मसीह सर्वदा रहेगा, फिर तू क्यों कहता है, कि मनुष्य के पुत्र को ऊँचे पर चढ़ाया जाना अवश्य है? यह मनुष्य का पुत्र कौन है?” (दानि. 7:14)
35 यीशु ने उनसे कहा, “ज्योति अब थोड़ी देर तक तुम्हारे बीच में है, जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है तब तक चले चलो; ऐसा न हो कि अंधकार तुम्हें आ घेरे; जो अंधकार में चलता है वह नहीं जानता कि किधर जाता है।
36 जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है, ज्योति पर विश्वास करो कि तुम ज्योति के सन्तान बनो।” ये बातें कहकर यीशु चला गया और उनसे छिपा रहा।
37 और उसने उनके सामने इतने चिन्ह दिखाए, तो भी उन्होंने उस पर विश्वास न किया;
38 ताकि यशायाह भविष्यद्वक्ता का वचन पूरा हो जो उसने कहा: “हे प्रभु, हमारे समाचार पर किस ने विश्वास किया है? और प्रभु का भुजबल किस पर प्रगट हुआ?” (यशा. 53:1)
39 इस कारण वे विश्वास न कर सके, क्योंकि यशायाह ने यह भी कहा है:
40 “उसने उनकी आँखें अंधी, और उनका मन कठोर किया है; कहीं ऐसा न हो, कि आँखों से देखें, और मन से समझें, और फिरें, और मैं उन्हें चंगा करूँ।” (यशा. 6:10)
41 यशायाह ने ये बातें इसलिए कहीं, कि उसने उसकी महिमा देखी; और उसने उसके विषय में बातें की।
42 तो भी सरदारों में से भी बहुतों ने उस पर विश्वास किया, परन्तु फरीसियों के कारण प्रगट में नहीं मानते थे, ऐसा न हो कि आराधनालय में से निकाले जाएँ।
43 क्योंकि मनुष्यों की प्रशंसा उनको परमेश्वर की प्रशंसा से अधिक प्रिय लगती थी।
44 यीशु ने पुकारकर कहा, “जो मुझ पर विश्वास करता है, वह मुझ पर नहीं, वरन् मेरे भेजनेवाले पर विश्वास करता है।
45 और जो मुझे देखता है, वह मेरे भेजनेवाले को देखता है।
46 मैं जगत में ज्योति होकर आया हूँ ताकि जो कोई मुझ पर विश्वास करे, वह अंधकार में न रहे।