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भजन संहिता 68:16-27 in Hindi

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भजन संहिता 68:16-27 in पवित्र बाइबिल

16 परन्तु हे शिखरवाले पहाड़ों, तुम क्यों उस पर्वत को घूरते हो, जिसे परमेश्‍वर ने अपने वास के लिये चाहा है, और जहाँ यहोवा सदा वास किए रहेगा?
17 परमेश्‍वर के रथ बीस हजार, वरन् हजारों हजार हैं; प्रभु उनके बीच में है, जैसे वह सीनै पवित्रस्‍थान में है।
18 तू ऊँचे पर चढ़ा, तू लोगों को बँधुवाई में ले गया; तूने मनुष्यों से, वरन् हठीले मनुष्यों से भी भेंटें लीं, जिससे यहोवा परमेश्‍वर उनमें वास करे। (इफि. 4:8)
19 धन्य है प्रभु, जो प्रतिदिन हमारा बोझ उठाता है; वही हमारा उद्धारकर्ता परमेश्‍वर है। (सेला)
20 वही हमारे लिये बचानेवाला परमेश्‍वर ठहरा; यहोवा प्रभु मृत्यु से भी बचाता है*।
21 निश्चय परमेश्‍वर अपने शत्रुओं के सिर पर, और जो अधर्म के मार्ग पर चलता रहता है, उसका बाल भरी खोपड़ी पर मार-मार के उसे चूर करेगा।
22 प्रभु ने कहा है, “मैं उन्हें बाशान से निकाल लाऊँगा, मैं उनको गहरे सागर के तल से भी फेर ले आऊँगा,
23 कि तू अपने पाँव को लहू में डुबोए, और तेरे शत्रु तेरे कुत्तों का भाग ठहरें।”
24 हे परमेश्‍वर तेरी शोभा-यात्राएँ देखी गई, मेरे परमेश्‍वर और राजा की शोभा यात्रा पवित्र स्थान में जाते हुए देखी गई।
25 गानेवाले आगे-आगे और तारवाले बाजों के बजानेवाले पीछे-पीछे गए, चारों ओर कुमारियाँ डफ बजाती थीं।
26 सभाओं में परमेश्‍वर का, हे इस्राएल के सोते से निकले हुए लोगों, प्रभु का धन्यवाद करो।
27 पहला बिन्यामीन जो सब से छोटा गोत्र है, फिर यहूदा के हाकिम और उनकी सभा और जबूलून और नप्ताली के हाकिम हैं।
भजन संहिता 68 in पवित्र बाइबिल