132 जैसी तेरी रीति अपने नाम के प्रीति रखनेवालों से है, वैसे ही मेरी ओर भी फिरकर मुझ पर दया कर।
133 मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्थिर कर, और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे।
134 मुझे मनुष्यों के अत्याचार से छुड़ा ले, तब मैं तेरे उपदेशों को मानूँगा।
135 अपने दास पर अपने मुख का प्रकाश चमका दे, और अपनी विधियाँ मुझे सिखा।
136 मेरी आँखों से आँसुओं की धारा बहती रहती है, क्योंकि लोग तेरी व्यवस्था को नहीं मानते।
137 सांदे हे यहोवा तू धर्मी है, और तेरे नियम सीधे हैं। (भज. 145:17)
138 तूने अपनी चितौनियों को धर्म और पूरी सत्यता से कहा है।
139 मैं तेरी धुन में भस्म हो रहा हूँ, क्योंकि मेरे सतानेवाले तेरे वचनों को भूल गए हैं।
140 तेरा वचन पूरी रीति से ताया हुआ है, इसलिए तेरा दास उसमें प्रीति रखता है।
141 मैं छोटा और तुच्छ हूँ, तो भी मैं तेरे उपदेशों को नहीं भूलता।
142 तेरा धर्म सदा का धर्म है, और तेरी व्यवस्था सत्य है।